About Shiv Chalisa
Wiki Article
वटाधोनिवासं महाट्टाट्टहासं महापापनाशं सदासुप्रकाशम् ।
शिव को भस्म क्यों चढ़ाई जाती है, जानिए यहां भस्म आरती के राज
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
देवन जबहीं जाय पुकारा । तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके । कानन कुण्डल नागफनी के॥
भजन: शिव शंकर को जिसने पूजा उसका ही उद्धार हुआ
कंबु – कुंदेंदु – कर्पूर – गौरं शिवं, सुंदरं, सच्चिदानंदकंदं ।
दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
और मनोरथ जो कोई लावै। सोई अमित जीवन फल पावै।।
अर्थ: हे प्रभु वैसे तो जगत के नातों में माता-पिता, भाई-बंधु, नाते-रिश्तेदार सब होते हैं, लेकिन विपदा पड़ने पर कोई भी साथ नहीं देता। हे स्वामी, बस आपकी ही आस है, आकर मेरे संकटों को हर लो। आपने सदा निर्धन को धन दिया है, जिसने जैसा फल चाहा, आपकी भक्ति से वैसा फल प्राप्त किया है। हम आपकी स्तुति, आपकी प्रार्थना किस here विधि से करें अर्थात हम अज्ञानी है प्रभु, अगर आपकी पूजा करने में कोई चूक हुई हो तो हे स्वामी, हमें क्षमा कर देना।
धन निर्धन को देत सदा हीं। जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
अर्थ- हे भगवन, देवताओं ने जब भी आपको पुकारा है, तुरंत आपने उनके दुखों का निवारण किया। तारक जैसे राक्षस के उत्पात से परेशान देवताओं ने जब आपकी शरण ली, आपकी गुहार लगाई।